समुद्र कैसे बना |
पृथ्वी की कुल सतह का लगभग तीन चौथाई भाग पानी से भरा हुआ है और एक चौथाई भाग स्थल है। यदि समुद्रों के पानी से भरी पृथ्वी के क्षेत्रफल का अनुमान लगाया जाए, तब यह लगभग 361.100 करोड़ वर्ग किलोमीटर के लगभग है।क्या आप जानते हैं कि समुद्रों का जन्म कब और कैसे हुआ?
इस प्रश्न का उत्तर अभी तक पूरी तरह से ज्ञात नहीं हो सका है। तथापि, वैज्ञानिक खोजों के आधार पर यह कहा जा सकता है कि पृथ्वी के आरंभ काल में समुद्र नहीं थे। समुद्रों में उपस्थित खनिज पदार्थों के आधार पर समुद्रों की उम्र का अनमान लगाया गया है। अनमान के अनसार समुद्रों का जन्म आज से 50 करोड़ और 100 करोड़ वर्षों के बीच हुआ होगा।
समुद्रों के जन्म की कहानी बड़ी मनोरंजक है। पृथ्वी अपने जन्म के समय आग का एक जलता हुआ विशाल गोला थी। पृथ्वी जब धीरे-धीरे ठंडी होने लगी, तब उसके चारों ओर गैस के बादल फैल गए। उनसे लगातार मूसलाधार वर्षा होने लगी, किन्तु पृथ्वी की सतह अब भी इतनी गर्म थी कि इस पर जो पानी बरसता था, भाप बनकर उड़ जाता था और दुबारा वायुमंडल में मिल जाता था।
यह बादलों के रूप में फिर बरसना शुरू हो जाता था। यह चक्र लाखों वर्ष तक चलता रहा। अब धीरे-धीरे पृथ्वी की परत ठंडी और कड़ी होती गई और इतनी ठंडी हो गई कि इस पर पड़ने वाला पानी उबल नहीं पाता था, लेकिन मूसलाधार वर्षा होती रहती थी। यह क्रम हज़ारों वर्ष तक चलता रहा। इस तीव्र बारिश का पानी पृथ्वी के निचले हिस्सों में भरता जाता था।
पानी से भरे धरती की सतह के ये विशाल गड्ढे ही समुद्र कहलाए। जैसे-जैसे समय बीतता गया, उन सागरों का रूप भी परिवर्तित होता गया। आज धरती की सतह पर कई महासागर और सागर हैं। इनके विषय में आधुनिक तरीकों को अपनाकर बहुत से अध्ययन किए जा रहे हैं।