खून की कमी (एनीमिया) क्या है? : Anemia kya hai (full information in hindi)

Anemia kya hai
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एनीमिया क्या है? : Anemia kya hai

खून की कमी (एनीमिया) या रक्ताल्पता एक ऐसी विशेष शारीरिक स्थिति है, जिसमें किसी व्यक्ति के रक्त में हीमोग्लोबिन (हीमोग्लोबिन) की मात्रा यानी लाल रक्त कोशिकाओं की संख्या सामान्य से कम हो जाती है। हीमोग्लोबिन वास्तव में लौहयुक्त प्रोटीन होता है। मानव रक्त की लाल कोशिकाओं में यह प्रवेश द्वारा उन्हें लाल रंग प्रदान करता है।

हीमोग्लोबिन की वजह से ही रक्त ऑक्सीजन को सोखने में सक्षम हो पाता है। प्रत्येक मानव में हीमोग्लोबिन का औसत प्रति डेसीलीटर 15 ग्राम होता है और स्त्रियों में यह प्रति डेसीलीटर मात्रा 13.5 ग्राम होती है। औसत मान से यदि हीमोग्लोबिन 2.5 या 3 ग्राम प्रति डेसीलीटर  प्रोटीन कम हो जाता है, तब तक व्यक्ति में खून की कमी मानी जाती है।

रक्ताल्पता का पता लगाने के लिए रक्त में तीन चीजों को जांचना होता है। ये हीमोग्लोबिन, रक्त कोशिकाओं की संख्या और हेमटोक्रिट हैं। अगर तीनों चीजों का औसत सामान्य स्तर से नीचे हो, तो व्यक्ति रक्ताल्पता का रोगी (एनीमिक) माना जाएगा।

Anemia के क्या कारण हो सकते हैं?

इन कुछ मुख्य कारण ये हैं- (i) जटिल रक्त की रचना, (ii) कोशिकाओं का नष्ट होना और (iii) शरीर से बहुत सारा खून बह जाना। इसके अलावा इस तरह के कई शारीरिक चौंकाने वाले होते हैं, जिनकी वजह से विभिन्न किस्म की रक्ताल्पता हो सकती है। 

रक्ताल्पताएं (एनीमिया) कितने प्रकार के होते हैं ?

कुछ विशेष किस्म की रक्ताल्पताएं ये हैं :-

(i) माइक्रोसाइटिक रक्ताल्पता (लाल कोशिकाएं सामान्य आकार से छोटे आकार की हों), (ii) मैक्रोसाइटिक रक्ताल्पता (लाल कोशिकाएं सामान्य आकार से बड़े आकार की हों), (iii) नार्मोसाइटिक रक्ताल्पता (लाल कोशिकाएं असामान्य आकार की हों), (vi) हाइपोक्रोमिक रक्ताल्पता (लाल कोशिकाओं में बहुत कम हीमोग्लोबिन है)। अचानक अधिक मात्रा में रक्तस्राव होने से पैदा हई रक्ताल्पता आमतौर पर नार्मोसाइटिक होती हैं।

लाल रक्त कोशिकाओं का औसत जीवन 120 दिन का होता है। एक स्वस्थ व्यक्ति के रक्त परिसंचरण में हर दिन प्रति माइक्रोलीटर 45000 लाल कोशिकाएं समाप्त हो जाती हैं और इनकी जगह हड्डी की मज्जा से बनी नई कोशिकाएं ले लेती हैं।

Anemia कब होती है ?

रक्ताल्पता तब होती है, जब नष्ट होने वाली लाल रक्त कोशिकाओं की संख्या अधिक हो और उनकी जगह लेने वाली कोशिकाओं की संख्या कम। इसके दो कारण होते हैं- या तो लाल कोशिकाओं का उत्पादन भली प्रकार नहीं हो पा रहा हो या तैयार कोशिकाओं को रक्त पहुंचाने में मज्जा निष्प्रभावी हो रही हो।

लाल रक्त कोशिकाओं के लगातार नष्ट होने से होने वाली रक्ताल्पता को हेमोलेटिक रक्ताल्पता कहते हैं। विष खाने से, एक विशेष प्रकार का मलेरिया होने से, अनुचित भोजन से, एलर्जी होने से या किसी अनुवांशिक कारण से यह रक्ताल्पता हो जाती है।

लौह तत्त्व की कमी के कारण होने वाली रक्ताल्पता सामान्य रूप से महिलाओं में होती है। विशेषकर यह स्थिति मासिक धर्म में अधिक रक्तस्राव होने से या गर्भकाल में होती है, क्योंकि मां को इस अवधि में गर्भ में स्थित बच्चे को रक्त की आपूर्ति करनी पड़ती है।

Anemia के लक्षण :-

रक्ताल्पता के लक्षण अत्यंत स्पष्ट होते हैं। जैसे चक्कर आना, सांस रुकना, त्वचा पीली पड़ जाना, कमजोरी होना तथा भूख कम लगना आदि।

Anemia का इलाज :-

रक्ताल्पता को ठीक करने के लिए डॉक्टर इसका कारण पता लगाते हैं। प्राय: इसका इलाज भोजन में विटामिन तथा आयरन की गोलियां शामिल करके किया जाता है। रक्त में विषैले तत्त्व होने पर उन्हें औषधियों द्वारा दूर करने के बाद रक्त में आयरन की मात्रा ठीक करके इसका इलाज किया जा सकता है।


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