Ingenuity |
नासा के अंतरिक्ष एजेंसी ने घोषणा की है कि Ingenuity Mars हेलीकॉप्टर ने दूसरे ग्रह पर पहली संचालित, नियंत्रित उड़ान पूरी की है। यह मानव के लिए मंगल ग्रह पर भविष्य के लिए मील का पत्थर साबित हो सकती है।
इस छोटे हेलिकॉप्टर (Ingenuity) ने सोमवार (19 April 2021) को लाल ग्रह मंगल पर उड़ान भरी और मंगल के सतह के ऊपर और सतह से लगभग तीन मीटर की दूरी पर हवा में उड़ान भरा।
इनजेनिटी के प्रमुख पायलट हॉवर्ड ग्रिप ने इस नियंत्रित मिशन की पुरे होने की घोषणा की। "इनजेनिटी ने अपनी पहली उड़ान - दूसरे ग्रह पर एक संचालित विमान की पहली उड़ान,", इस संदेश को प्रसारित किया गया।
नासा के जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी (JPL) के इनजीनिटी मार्स हेलीकॉप्टर प्रोजेक्ट मैनेजर, MiMi Aung ने कहा, "अब हम यह कह सकते हैं कि मनुष्य ने दूसरे ग्रह पर एक रोटरक्राफ्ट उड़ाया है।" “राइट भाइयों के अविष्कार के बाद यह मानव इतिहास का दूसरा सबसे बड़ा बढ़िया पल है। ”
हेलीकॉप्टर इनगनिटी एक प्रौद्योगिकी प्रदर्शन का हिस्सा है - इस परियोजना का उद्देश्य नए ग्रह मंगल पर नई क्षमता का परीक्षण करना है।
स्वायत्त परीक्षण के कुछ घंटों बाद पहली उड़ान से डेटा पृथ्वी पर लौट आया। चित्रों और एक वीडियो ने दिखाया ने ग्रह की सतह के ऊपर इनजेनिटी की फोटोज और वीडियो को दिखाया।
Perseverance रोवर, इनगनिटी के उड़ान के दौरान संचालन में सहायता प्रदान कर रहा है और उसकी फोटोज ले रहा है। यह रोवर, पर्यावरण डेटा एकत्र करेगा और बेस स्टेशन की मेजबानी करेगा जो हेलीकॉप्टर को पृथ्वी पर वैज्ञानिको के साथ संवाद करने में सहायता करता है।
नासा के Perseverance रोवर के अंदर मौजूद हेलीकॉप्टर इनगनिटी , लगभग 300 मिलियन मील की दूरी और आठ महीने की यात्रा के बाद 18 फरवरी को इनज्यूरिटी जेजेरो क्रेटर में पहुंची। अंतरिक्ष यान के उतरने के बाद, इसने ड्रोन को जमीन पर गिरा दिया, ताकि इनजेनिटी अपनी पहली उड़ान के लिए तैयार हो सके।
इनगनिटी हेलीकॉप्टर |
सिर्फ 50 सेमी लंबा, हेलीकॉप्टर का वजन पृथ्वी पर 1.8kg है, लेकिन लाल ग्रह के कम गुरुत्वाकर्षण के कारण मंगल पर मात्र 0.68kg है। यह दो रोटार से लैस है जो जमीन से ड्रोन को उठाने के लिए विपरीत दिशाओं में घूमता है। कम गुरुत्वाकर्षण के साथ-साथ, हेलीकॉप्टर को मंगल ग्रह के वायुमंडल में उड़ान भरने की चुनौती का सामना करना पड़ता है, जो पृथ्वी के वायुमंडल की तुलना में लगभग 100 गुना पतला है।
क्युकि कि यह एक सिर्फ प्रौद्योगिकी प्रदर्शन (technology demonstration) है,इसलिए हेलीकॉप्टर में कोई भी वैज्ञानिक उपकरण नहीं लगाया गया है। इसे सरलतम रखा गया है और अतिरिक्त प्रयोगात्मक उड़ानों का प्रयास करेगी, जिसमें आगे की दूरी की यात्रा और बढ़ती ऊँचाई शामिल होगी।
कुल मिलाकर हेलीकॉप्टर 30 मार्टियन-डे (31 Earth-day) के लिए पांच परीक्षण उड़ानों तक का लक्ष्य रखा गया है।
यह ज्यादातर खुद से उड़ने के लिए डिज़ाइन किया गया है, क्यूँकि नासा हेलीकॉप्टर को दूर से यानि पृथ्वी नियंत्रित नहीं कर पाएगा। पृथ्वी और मंगल के बीच की दूरी के कारण एक रेडियो सिग्नल को पृथ्वी पर वापस आने में 11 मिनट से अधिक समय लगता है।जिससे इस हेलीकॉप्टर को लाइव कण्ट्रोल करना मुश्किल है।
अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा कि यह उड़ान भरने के बाद तक प्रत्येक उड़ान से इंजीनियरिंग डेटा या छवियों को देखने में सक्षम नहीं होगा।
नॉटिंघम ट्रेंट के एक खगोल विज्ञान विशेषज्ञ डॉ डैनियल ब्राउन ने कहा, "मंगल ग्रह पर उड़ान भरना बहुत चुनौतीपूर्ण है क्योंकि जमीनी स्तर पर इसका वातावरण पृथ्वी पर केवल 1 प्रतिशत है, या समुद्र तल से लगभग 16 किमी ऊपर पृथ्वी पर जितना पतला है।" उन्होंने कहा कि ब्लेड के साथ अल्ट्रा-लाइट होना "बेहद तेज(extremely fast)" होना काफी ज़रूरी है।
उन्होंने कहा यह भी कहा "इसे स्वायत्त रूप (खुद से) से भी उड़ना होगा क्योंकि हम पृथ्वी पर सीधे इसे नियंत्रित करने के लिए बहुत दूर हैं।"
“इस मंगल कॉप्टर में परीक्षण की गई तकनीक भविष्य में एक जैसे रोवर्स और मनुष्यों के जीने लायक इलाके के सर्वेक्षण करने के लिए एक अहम कदम हो सकती है। यह चट्टानों तक भी पहुंच सकता है जहाँ रोवर्स नहीं पहुंच सकता है। हमारे सौर मंडल में अनजान इलाके का पता लगाने का एक नया तरीका अब हमारे वश में है और यह खोजो में काफी मदद करेगा। "
3-D VIEW OF इनगनिटी हेलीकॉप्टर