विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और महामारी विशेषज्ञों द्वारा भविष्य में एक और वैश्विक महामारी के जोखिम की भविष्यवाणी की जा रही है, जिसे "Disease X" के नाम से जाना जा रहा है। कोविड-19 के अनुभव ने हमें यह स्पष्ट कर दिया है कि अगली महामारी कितना विनाशकारी हो सकती है। ऐसे में, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) का सहारा लेकर इस संकट से निपटने की संभावनाएं उत्साहवर्धक हैं। आइए, इस लेख में जानें कि ए.आई. भविष्य की महामारी में कैसे सहायक हो सकता है और इसके क्या संभावित लाभ और चुनौतियाँ हैं।
ए.आई. का उपयोग: भविष्य की महामारी की पहचान में
कैलिफोर्निया के शोधकर्ता एक AI-आधारित प्रणाली पर काम कर रहे हैं जो सोशल मीडिया पोस्ट्स का विश्लेषण करके महामारी के संकेतों की पहचान कर सकती है। यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफ़ोर्निया, इरविन (UCI) और यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफ़ोर्निया, लॉस एंजेल्स (UCLA) के शोधकर्ता इस परियोजना पर काम कर रहे हैं। इस प्रणाली में ट्विटर जैसे प्लेटफार्म पर पोस्ट किए गए 2.3 अरब से अधिक ट्वीट्स का विश्लेषण किया जा रहा है। प्रोफेसर चेन ली के नेतृत्व में, इस प्रणाली को सामाजिक मीडिया स्ट्रीम्स से महत्वपूर्ण घटनाओं की पहचान करने के लिए प्रशिक्षित किया गया है, जिससे संभावित महामारी की जल्दी पहचान की जा सकती है।
EVEScape: नए वेरिएंट्स की भविष्यवाणी
हॉर्वर्ड मेडिकल स्कूल और यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफोर्ड द्वारा विकसित AI टूल, EVEScape, कोरोनावायरस के नए वेरिएंट्स की भविष्यवाणी करने में सक्षम है। यह टूल हर दो हफ्ते में नए वेरिएंट्स की रैंकिंग प्रकाशित करता है और इसके परिणामस्वरूप, यह न केवल कोरोना बल्कि HIV और इन्फ्लूएंजा जैसे अन्य वायरस के वेरिएंट्स की भविष्यवाणी भी कर चुका है। इसके उपयोग से वैक्सीन निर्माताओं और चिकित्सा शोधकर्ताओं को भविष्य में उत्पन्न होने वाले म्यूटेशंस की पहचान करने में सहायता मिलती है।
ए.आई. और वैक्सीन अनुसंधान
एस्ट्राज़ेनेका के डेटा साइंस और AI R&D के उपाध्यक्ष, जिम वेथेरल के अनुसार, ए.आई. का उपयोग एंटीबॉडी अनुसंधान में तेजी लाने में किया जा रहा है। ए.आई. के माध्यम से एंटीबॉडीज़ की एक लाइब्रेरी का निर्माण और परीक्षण किया जाता है, जिससे लक्षित एंटीबॉडी लीड्स की पहचान करने में महज तीन दिन का समय लगता है। इससे महामारी की स्थिति में तेजी से प्रतिक्रिया करने में मदद मिलती है, विशेष रूप से जब वायरस तेजी से उत्परिवर्तित होते हैं।
चुनौतियाँ और सीमाएँ
हालांकि ए.आई. की संभावनाएं आशाजनक हैं, इसके कुछ महत्वपूर्ण सीमाएँ भी हैं। डॉ. फिलिप अब्देलमालिक, WHO के इंटेलिजेंस, इनोवेशन और इंटीग्रेशन यूनिट के प्रमुख, के अनुसार, AI केवल एक टूल है और इसका प्रभाव उस डेटा पर निर्भर करता है जो इसे प्रदान किया जाता है। यदि डेटा में गलतफहमी या पूर्वाग्रह है, तो ए.आई. की भविष्यवाणियाँ भी गलत हो सकती हैं। इसके अलावा, ए.आई. की सीमाओं के बावजूद, इसे उपयोग में लाने के लिए सही जानकारी और सार्वजनिक स्वास्थ्य नीतियों का सहारा लिया जाना चाहिए।
भविष्य की ओर एक नजर
ए.आई. की प्रगति ने हमें महामारी की तैयारी और प्रतिक्रिया में एक नई दिशा दी है। जैसे-जैसे हम महामारी के संभावित संकट की ओर बढ़ रहे हैं, हमें ए.आई. की क्षमताओं को समझने और उसे सही तरीके से लागू करने की आवश्यकता है। हालांकि तकनीकी उपकरण हमारी समस्याओं का समाधान नहीं कर सकते, लेकिन वे एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं, विशेष रूप से जब उन्हें सही तरीके से उपयोग किया जाए और सामाजिक संबंधों और सूचनाओं का सही तरीके से प्रबंधन किया जाए।
आखिरकार, महामारी के खिलाफ लड़ाई में तकनीक से अधिक महत्वपूर्ण चीज़ है विश्वास और सहयोग। भविष्य में हमें केवल ए.आई. की तकनीक पर निर्भर नहीं रहना चाहिए, बल्कि एक मजबूत और सामंजस्यपूर्ण समाज की ओर भी ध्यान देना चाहिए।
इस प्रकार, ए.आई. और अन्य तकनीकी उपकरणों का सही उपयोग हमारे आने वाले संकटों से निपटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है, लेकिन इसके लिए आवश्यक है कि हम इन उपकरणों के साथ-साथ सामाजिक और नैतिक पहलुओं पर भी ध्यान दें।