भारत में $10 बिलियन सेमीकंडक्टर प्रोजेक्ट: अडानी और टॉवर सेमीकंडक्टर की नई साझेदारी

हाल ही में, इज़राइल की टॉवर सेमीकंडक्टर और भारतीय उद्योगपति गौतम अडानी की अडानी ग्रुप ने मिलकर एक बड़े सेमीकंडक्टर प्रोजेक्ट की घोषणा की है। इस परियोजना में 839.47 बिलियन रुपये (लगभग $10 बिलियन) का निवेश होगा और यह भारत के पश्चिमी राज्य महाराष्ट्र में स्थापित किया जाएगा।

सेमीकंडक्टर

भारत की सेमीकंडक्टर रणनीति

भारत ने वैश्विक कंपनियों को देश में अपने निर्माण संयंत्र स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए कई कदम उठाए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का लक्ष्य है कि भारत को विश्व का प्रमुख चिप निर्माता बनाया जाए, हालांकि इस रास्ते में कई प्रारंभिक चुनौतियाँ भी आई हैं। उदाहरण के लिए, पिछले साल जुलाई में फॉक्सकॉन ने भारतीय कंपनी वेदांता के साथ $19.5 बिलियन के सेमीकंडक्टर संयुक्त उद्यम से बाहर हो गया। इसी तरह, अबू धाबी स्थित नेक्स्ट ऑर्बिट वेंचर्स और टॉवर सेमीकंडक्टर के बीच एक वेंचर, ISMC, का $3 बिलियन निवेश भी अटक गया है।

फिर भी, भारत का सेमीकंडक्टर बाजार 2026 तक $63 बिलियन तक पहुँचने की उम्मीद है।

अडानी और टॉवर सेमीकंडक्टर की साझेदारी

अडानी ग्रुप और टॉवर सेमीकंडक्टर की साझेदारी से महाराष्ट्र में $10 बिलियन का एक विशाल सेमीकंडक्टर संयंत्र स्थापित किया जाएगा। इस संयंत्र की प्रारंभिक क्षमता 40,000 वेफर प्रति माह होगी। महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस परियोजना की जानकारी ट्विटर पर साझा की।

मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने भी एक सोशल मीडिया पोस्ट के माध्यम से बताया कि गुरुवार को 1.17 ट्रिलियन रुपये के परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है, जिससे राज्य में 29,000 नई नौकरियाँ उत्पन्न होंगी।

इलेक्ट्रिक वाहनों का निर्माण भी

महाराष्ट्र में इलेक्ट्रिक वाहन निर्माण को लेकर भी बड़ी योजनाएँ हैं। स्कोडा-फॉक्सवैगन अपने संयंत्र के लिए 150 बिलियन रुपये का निवेश करेगी, जबकि टोयोटा-किर्लोस्कर 212.73 बिलियन रुपये का निवेश करेगी। इन परियोजनाओं से राज्य में इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड वाहनों का उत्पादन बढ़ेगा।

भविष्य की दिशा

अडानी ग्रुप और टॉवर सेमीकंडक्टर की यह साझेदारी भारत की सेमीकंडक्टर और इलेक्ट्रिक वाहन निर्माण उद्योग के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। यह परियोजना न केवल राज्य के औद्योगिक विकास को बढ़ावा देगी, बल्कि वैश्विक स्तर पर भारत की प्रतिस्पर्धा को भी सशक्त बनाएगी।

आगे की दिशा में, भारत की सरकार और उद्योगपति इस क्षेत्र में और भी बड़े निवेश और परियोजनाओं की योजना बना रहे हैं, जिससे देश को एक प्रमुख तकनीकी शक्ति के रूप में स्थापित किया जा सके।

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