दांतों की कमी एक पुरे विश्व की समस्या है, जो सभी उम्र के लोगों के साथ दिक्कत है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, पुरे विश्व में 20 वर्ष से ऊपर के व्यक्ति में 7% लोग दांतों की कमी (एडेंटुलिज़्म) से जूझ रहे है। इसके अलावा, 60 वर्ष से अधिक की वैश्विक जनसंख्या में से 23% लोगो ने अपने सभी दांत खो दिए हैं।
जापान के शोधकर्ताओं ने एक नई तकनीक विकसित की है, जो दांतों को फिर से उगाने में मदद कर सकती है। उनके अध्ययन में यह पाया गया है कि वयस्कों में अविकसित दांत की कलियों का उपयोग करके नए दांत उगाए जा सकते हैं।
प्राकृतिक दांतों का विकल्प
वर्तमान में, दांतों की
कमी के लिए विकल्पों
में removable
dentures, teeth bridges, और
implants शामिल हैं। लेकिन, इनमें
से कोई भी विकल्प
प्राकृतिक दांतों की गुणवत्ता जैसी गुण नहीं रखती है। यही कारण है
कि वैज्ञानिक दशकों से मानव दांतों
को फिर से उगाने
का तरीका खोजने का प्रयास कर
रहे हैं। हाल ही
में, एक जापानी फर्म
ने इस दिशा में
एक महत्वपूर्ण प्रगति की है।
शोध कहा तक पहुँच पायी है
जापानी फार्मास्यूटिकल कंपनी Toregem Biopharma और क्योटो यूनिवर्सिटी
ने डॉ. कात्सु ताकाहाशी
के अनुसंधान पर आधारित एक नयी दवा विकसित की
है। यह दवा वयस्कों
में अविकसित दांत की कलियों
का उपयोग करके पूरे मानव
दांत को उगाने में
मदद करती है।
वैज्ञानिकों ने एक विशेष एंटीबॉडी का उपयोग किया है जो दांतों के विकास में सहायक होती है। यह एंटीबॉडी ओडेंटोजेनिक कोशिकाओं के साथ इंटरैक्ट करती है, जिससे दांतों के विकास में मदद मिलता है।
इस अध्ययन का उद्देश्य उन लोगों की मदद करना है, जो जन्मजात दांतों की कमी से ग्रस्त हैं। इसके अलावा, यह तकनीक दांतों के नुकसान के कारण उत्पन्न होने वाली समस्याओं को भी हल कर सकती है।
दवा कैसे काम करती है
यह दवा गर्भाशय से संबंधित जीन-1 (USAG-1) के साथ इंटरैक्ट करती है। यह जीन ओडेंटोजेनिक एपिथेलियल कोशिकाओं में व्यक्त होता है और हड्डी के विकास को बढ़ावा देने वाले प्रोटीनों के साथ मिल जाती है। अध्ययन से पता चला है कि USAG-1 जीन के अभाव वाले चूहों में अतिरिक्त दांत होते हैं।
शोध और भविष्य
Toregem Biopharma 2025 में
नैदानिक परीक्षण करने की योजना
बना रहा है, जिसमें
2 से 5 वर्ष की आयु
के बच्चे शामिल होंगे। यह दवा वयस्कों
के लिए भी दांतों
के पुनर्निर्माण में सहायक हो
सकती है।
Toregem की अध्यक्ष, डॉ. होनका किसो,
ने इस खोज के
पीछे की प्रेरणा को
अपने किशोरावस्था में एक हड्डी
की बीमारी के कारण दांतों का खो जाना बताया। उनके
अनुसार, इस औषधि का
उद्देश्य उन रोगियों का
इलाज करना है जो
जन्मजात दांत की कमी
के कारण दिक्कत झेल रहे हैं।
भविष्य कैसा होगा
डॉ. कात्सु ताकाहाशी के अनुसार, बच्चों
में दांतों की कमी उनके
जबड़े के विकास को
प्रभावित कर सकती है। इस
नए औषधि के विकास
से खोए हुए या
जन्मजात कमी वाले दांतों
को फिर से उगाने
की संभावना अब वास्तविकता के
करीब है।
इस क्षेत्र में आगे का
शोध दंत ऊतकों के
पुनर्जनन के अधिक रास्ते
खोजने में मदद करेगा,
जिससे दांतों के कृत्रिम विकल्पों
की आवश्यकता समाप्त हो सकती है।
इस शोध के परिणामस्वरूप, दांतों के पुनर्जनन की संभावनाएं काफी अच्छी हैं। वैज्ञानिक 2025 में परीक्षण करने की योजना बना रहे हैं, जिसमें बच्चों और वयस्कों दोनों को शामिल किया जाएगा।
मानव दांतों के पुनर्जनन के क्षेत्र में यह नई औषधि एक क्रांतिकारी कदम हो सकती है, जो न केवल चिकित्सा विज्ञान में बल्कि लोगों के जीवन में भी महत्वपूर्ण बदलाव ला सकती है।