हाल ही में, भारतीय मूल की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स और उनके सहयोगी बैरी विलमोर, जो जून में बोइंग स्टारलाइनर कैप्सूल के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर गए थे, की धरती पर वापसी के लिए एक महत्वपूर्ण घोषणा की गई है। नासा ने पुष्टि की है कि सुनीता और बैरी फरवरी 2025 में स्पेसएक्स के क्रू-9 ड्रैगन कैप्सूल के जरिए वापस आएंगे।
इस बीच, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) को लेकर एक सवाल उठ रहा है कि क्या वह इस स्थिति में किसी प्रकार की सहायता कर सकता है। इसरो के अध्यक्ष एस. सोमनाथ ने हाल ही में एक यूट्यूब पॉडकास्ट में इस मुद्दे पर अपने विचार साझा किए हैं। उनका कहना है कि वर्तमान में इसरो सीधे तौर पर कोई मदद नहीं कर सकता क्योंकि उसके पास ऐसा कोई अंतरिक्ष यान नहीं है जो ISS तक जा सके और सुनीता विलियम्स को वापस ला सके। इसरो के पास अभी ऐसी तकनीक या यान नहीं है जो इस स्थिति को संभाल सके।
एस. सोमनाथ ने यह भी बताया कि नासा ने स्टारलाइनर कैप्सूल में कुछ तकनीकी समस्याओं के कारण इसे वापसी के लिए इस्तेमाल करने का निर्णय नहीं लिया। स्टारलाइनर में हीलियम लीक और थ्रस्टर की विफलता जैसी समस्याएँ आई हैं, जिससे नासा ने इसे वापस लाने के लिए जोखिम नहीं उठाने का निर्णय लिया। नासा ने इस स्थिति को देखते हुए स्पेसएक्स के क्रू-9 ड्रैगन कैप्सूल को वापसी के लिए चुना है, जो अधिक विश्वसनीय माना जा रहा है।
इसके अलावा, उन्होंने यह भी बताया कि रूस और अमेरिका ही इस समय ऐसे यान उपलब्ध कर सकते हैं जो ISS पर जाकर सुनीता विलियम्स को वापस ला सकते हैं। अमेरिका के पास क्रू ड्रैगन और रूस के पास सोयुज जैसे विकल्प हैं, जो इस स्थिति को संभाल सकते हैं।
इस प्रकार, वर्तमान में ISRO की तकनीकी स्थिति के कारण, सुनीता विलियम्स की वापसी के लिए किसी भी प्रकार की सीधी सहायता संभव नहीं है। यह स्थिति दर्शाती है कि अंतरिक्ष यात्रा में किसी भी तकनीकी कठिनाई का समाधान करना कितना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। ISRO के लिए भविष्य में ऐसी परिस्थितियों में मदद करने के लिए अपनी तकनीकी क्षमताओं को बढ़ाना एक महत्वपूर्ण लक्ष्य होगा।