हीमोग्लोबिन में Oxygenation के दौरान होने वाले परिवर्तन: विस्तृत जानकारी

हीमोग्लोबिन, जो खून में ऑक्सीजन को शरीर के विभिन्न अंगों तक पहुंचाने का कार्य करता है, एक जटिल प्रोटीन है। ऑक्सीजन के बंधन (Oxygenation) के दौरान, हीमोग्लोबिन अणु में कई संरचनात्मक और रासायनिक परिवर्तन होते हैं। ये परिवर्तन शरीर के ऊतकों और कोशिकाओं में ऑक्सीजन की आपूर्ति के लिए आवश्यक होते हैं।

hemoglobin molecule on oxygenation


हीमोग्लोबिन का परिचय

हीमोग्लोबिन एक प्रोटीन है जो लाल रक्त कोशिकाओं (RBCs) में पाया जाता है। यह चार सबयूनिट्स (दो अल्फा और दो बीटा चेन) से मिलकर बना होता है। प्रत्येक सबयूनिट में एक हीम ग्रुप होता है, जिसमें एक आयरन आयन (Fe²⁺) स्थित होता है। यही आयरन आयन ऑक्सीजन के साथ जुड़ता है।


ऑक्सीजनशन के दौरान होने वाले परिवर्तन

ऑक्सीजनशन के दौरान हीमोग्लोबिन अणु में मुख्यतः तीन प्रकार के परिवर्तन होते हैं:

  1. संरचनात्मक परिवर्तन (Structural Changes):

    • ऑक्सीजन के बंधन के बाद, हीमोग्लोबिन की संरचना में 'T-State' (Tense State) से 'R-State' (Relaxed State) में परिवर्तन होता है।
    • T-State: यह स्थिति ऑक्सीजन के बिना होती है, और इसमें हीमोग्लोबिन की ऑक्सीजन से जुड़ने की क्षमता कम होती है।
    • R-State: जब ऑक्सीजन जुड़ता है, तो संरचना में ढीलापन आता है, और यह ऑक्सीजन के अन्य अणुओं को भी आसानी से जोड़ लेता है।
  2. क्वाटरनरी संरचना में परिवर्तन (Quaternary Structure Changes):

    • ऑक्सीजन के बंधन के कारण सबयूनिट्स के बीच के इंटरैक्शन बदल जाते हैं।
    • आयरन आयन (Fe²⁺) हीम ग्रुप के केंद्र में स्थित होता है। जब ऑक्सीजन इसके साथ बंधता है, तो आयरन आयन हल्के से अपनी स्थिति बदलकर हीम के प्लेन में आ जाता है। यह छोटी-सी शिफ्ट पूरी संरचना को प्रभावित करती है।
  3. कॉपरेटिविटी (Cooperativity):

    • हीमोग्लोबिन में "कॉपरेटिव बाइंडिंग" का गुण होता है। इसका मतलब है कि जब एक ऑक्सीजन अणु हीमोग्लोबिन से जुड़ता है, तो अन्य ऑक्सीजन अणुओं के बंधन की संभावना बढ़ जाती है।
    • यह प्रक्रिया सिग्मॉइडल (S-Shaped) ऑक्सीजन डिसोसिएशन कर्व द्वारा प्रदर्शित होती है।

हीमोग्लोबिन-ऑक्सीजन डिसोसिएशन कर्व

यह कर्व बताता है कि ऑक्सीजन का बंधन और डिसोसिएशन (बंधन से मुक्त होना) कैसे होता है:

  1. दाईं ओर शिफ्ट:

    • ऊतकों में कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂) और प्रोटॉन (H⁺) की अधिकता के कारण, हीमोग्लोबिन ऑक्सीजन को छोड़ने लगता है।
    • इसे बोर प्रभाव (Bohr Effect) कहा जाता है।
  2. बाईं ओर शिफ्ट:

    • फेफड़ों में ऑक्सीजन का उच्च दबाव होने के कारण हीमोग्लोबिन अधिक ऑक्सीजन से जुड़ता है।

ऑक्सीजनशन प्रक्रिया का डेटा

  • हीमोग्लोबिन का प्रत्येक अणु चार ऑक्सीजन अणुओं (O₂) के साथ जुड़ सकता है।
  • एक स्वस्थ व्यक्ति में ऑक्सीजन सैचुरेशन (SpO₂) स्तर 95-100% होता है।
  • फेफड़ों में ऑक्सीजन दबाव (pO₂) लगभग 100 mmHg होता है, जबकि ऊतकों में यह लगभग 40 mmHg होता है।

डायग्राम

  1. T-State और R-State:
    एक डायग्राम बनाएं जिसमें दिखाया गया हो कि T-State में आयरन आयन प्लेन के बाहर होता है, और R-State में यह हीम के प्लेन के साथ संरेखित हो जाता है।

  2. ऑक्सीजन डिसोसिएशन कर्व:

    • X-अक्ष पर pO₂ (ऑक्सीजन का दबाव) और Y-अक्ष पर ऑक्सीजन सैचुरेशन (SpO₂) दिखाएं।
    • कर्व की S-आकार की प्रकृति प्रदर्शित करें।

निष्कर्ष

हीमोग्लोबिन में ऑक्सीजनशन के दौरान होने वाले परिवर्तन शरीर में ऑक्सीजन के कुशल परिवहन के लिए अनिवार्य हैं। इसके क्वाटरनरी संरचना में परिवर्तन और कॉपरेटिविटी इसे एक प्रभावी ऑक्सीजन कैरियर बनाते हैं। इन प्रक्रियाओं को समझना न केवल शारीरिक विज्ञान में महत्वपूर्ण है, बल्कि कई चिकित्सा स्थितियों के निदान और उपचार के लिए भी उपयोगी है।

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